१. अति पिछड़े वर्गों में वर्गीय भावना का अभाव ही उनके दुखों का मूल कारण है।
२. लामबन्द होकर ही सामाजिक व्यवस्था के मारे अति पिछड़े वर्ग के लोग न्याय कर सकते हैं।
३. भारतीय राजनीति में अति पिछड़े वर्ग के राजनेताओं की साख एवं उनका सामाजिक चिन्तन।
४. हिन्दू वर्ण व्यवस्था में अति पिछड़े वर्ग की महिलाओं का शोषण, उत्तरदायी कौन?
५. अति पिछड़ा वर्ग जन-जागरण आन्दोलन में छात्रों एवं युवाओं की भूमिका।
६. अति पिछड़ा वर्ग की आजादी में जननायक कर्पूरी ठाकुर की भूमिका।
७. अति पिछड़े वर्ग हेतु पृथक आरक्षण कर्पूरी ठाकुर फार्मूले के आधार पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की भांति लागू किया जाना।
८. भारतीय राजनीति में नन्द समाज के राजनेताओं की भागीदारी, समाज के प्रति उनका दायित्व एवं योगदान।
९. नन्द समाज के समग्र विकास में छात्र-छात्राओं एवं महिलाओं की भूमिका/योगदान।
१०. मात्र आर्थिक सम्पन्नता क्या सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्ति का आधार है?
११. अनुसूचित जाति में नन्द समाज को शामिल किये जाने की आवश्कता एवं उसके विकास में इसकी भूमिका।
१२. नन्दवंश का सामाजिक ऋण चुकाना हमारा नैतिक दायित्व है।
१३. नाई समाज को अनु०जाति में शामिल किये जाने की आवश्यकता एवं औचित्य।
१४. सामाजिक आर्थिक एवं राजनैतिक उत्थान में शिक्षा का योगदान।
१५. परजावट से मुक्ति में छात्र एवं महिलाओं की भूमिका।
१६. परजावट समाज के लिए कलंक है।
१७. व्यवस्थावादी इतिहासकारों की नाइंसाफी।
१८. राजा से प्रजा- एक ऐतिहासिक सच्चाई।
१९. सामाजिक आन्दोलन में छात्र एवं महिलाओं की भूमिका।
२०. अति पिछड़े वर्ग को अपने शूद्र होने का अहसास नही- यही अति पिछड़े वर्ग की मूल समस्या है।
२१. न्याय पालिका में सर्वाधिक पिछड़े वर्गों की भागीदारी।
२२. वर्तमान समय में अति पिछड़े वर्ग (श्.ँ.ण्) का पृथक आरक्षण एक राष्ट्रीय समस्या है।
२३. हिन्दुत्व की विचार धारा अति पिछड़े वर्ग (श्.ँ.ण्) के शोषण का कारण है।
२४. परजावट का पेशा नन्द समाज की महिलाओं के शोषण का हथियार है।
२५. अति पिछड़े वर्ग (श्.ँ.ण्) का पृथक आरक्षण में जननायक कर्पूरी ठाकुर की भूमिका।
२६. समदुखी विभिन्न जातियों के कर्मचारियों के मध्य समन्वय।
२७. नन्द समाज की समस्यायें एवं उनके निराकरण में एम.सी.इ.ए. की भूमिका।
२८. हिन्दू वर्ण व्यवस्था और उसका अति पिछड़े वर्ग पर प्रभाव।
२९. अति पिछड़े वर्ग के युवाओं एवं महिलाओं की राजनीति एवं नौकरशाही में भागीदारी।
३०. आजादी के ६५ वर्ष और अति पिछड़े वर्ग के लिए छेदीलाल साथी कमीशन की प्रासंगिकता।
३१. सम्राट महापद्मनन्द की वर्तमान परिवेश में प्रासंगिकता।
३२. आरक्षण व्यवस्था में कर्पूरी ठाकुर फार्मूले की आवश्यकता एवं औचित्य।
३३. कर्पूरी ठाकुर के आरक्षण फार्मूले पर चिन्तन-मनन।
३४. सर्वाधिक पिछड़ी जातियों को जाति अपमान से सुरक्षा के लिए कानूनी संरक्षण जरूरी।
३५. सर्वाधिक पिछड़े/पिछड़े वर्ग की जातियों के पुश्तैनी पेशों तथा सामान्य आर्थिक विकास हेतु विशेष सहायता की आवश्यकता।

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